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मोदी सरकार NPS में कर सकती है संशोधन, कर्मचारियों को OPS की तरह मिलेगा लाभ



NPS Vs OPS: संशोधन से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के रूप में उनके अंतिम वेतन का कम से कम 40-45 फीसद मिले, जिसकी उच्च-स्तरीय पैनल ने सिफारिश की थी।

NPS Vs OPS: मोदी सरकार इस साल के अंत तक राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में संशोधन कर सकती है। इस संशोधन से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के रूप में उनके अंतिम वेतन का कम से कम 40-45 फीसद मिले, जिसकी उच्च-स्तरीय पैनल ने सिफारिश की थी। इस मामले से परिचित दो लोगों ने कहा कि फिलहाल इस पर विचार किया जा रहा है।

दरअसल पेंशन का मुद्दा इस समय हावी है। कई गैर-बीजेपी शासित राज्य पुरानी पेंशन योजना (OPS) पर स्विच कर रहे हैं, जो पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के समय मिले वेतन का 50 फीसद मासिक लाभ प्रदान करता था। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब सहित विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य पुरानी पेंशन प्रणाली पर वापस लौट आए हैं, जो कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राज्य सरकारों को दिवालियापन में धकेल सकता है। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना वित्तीय रूप से अस्थिर है और इससे राज्य सरकारों का कर्ज बढ़ सकता है। 2023-24 में, भारत का केंद्रीय पेंशन बजट ₹2.34 ट्रिलियन था।

एनपीएस पर क्या है विवाद

2004 में शुरू की गई मौजूदा बाजार-लिंक्ड पेंशन योजना ऐसी कोई गारंटीड आधार राशि प्रदान नहीं करती है। विवाद का दूसरा मुद्दा यह है कि एनपीएस कर्मचारी के वेतन के 10 फीसद योगदान पर आधारित है, जिसमें सरकार 14 फीसद का योगदान देती है, जबकि ओपीएस में कर्मचारी का कोई योगदान नहीं है। दूसरी ओर एनपीएस पेंशनर्स को रिटायरमेंट के समय कोष का 60 फीसद टैक्स फ्री और शेष 40 फीसद भुगतान कर योग्य होता है।

वर्तमान राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत लगभग 87 लाख केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसद योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 फीसद का भुगतान करती है। अंतिम भुगतान उस फंड पर रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी ऋण निवेश किया जाता है।

क्या होंगे बदलाव

संशोधित पेंशन योजना बाजार रिटर्न से जुड़ी रहेगी, लेकिन सरकार किसी कर्मचारी के अंतिम वेतन का न्यूनतम 40 फीसद देने की पद्धति पर काम कर सकती है। यानी इसका मतलब यह है कि यदि भुगतान आधार राशि से कम है तो सरकार को पेंशन में कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा। वर्तमान में, कर्मचारी औसतन 36 फीसद से 38 फीसद के बीच औसत रिटर्न अर्जित करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल लाइव हिंदुस्तान न्यूज सर्विस से लिया गया है।